
हिंदी के पक्ष में तर्क
– अंग्रेजी भाषा के प्रयोग के कारण वादकारियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लोगों को शिकायतें का अन्य दस्तावेजों की समझ के लिए पूरी तरह से वकीलों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- अदालतों में कानून की प्रैक्टिस करने वाले अधिकांश व्यक्ति हिंदी में दक्ष हैं । भारत में विशेष कर उत्तर भारत में लगभग 90% जनता हिंदी भाषा को समझती है जबकि अंग्रेजी भाषा के प्रति लोगों की जानकारी नाममात्र है।
- हिंदी अथवा स्थानीय भाषा में निचली अदालतों की कार्यवाही ना होने से व्यक्ति पूर्णतः अपने वकील पर निर्भर हो जाता है।
- अंग्रेजी भाषा के पक्ष में तर्क
– कानून की भाषा मुख्यत: जटिल शब्द वालियों वाली है जिनको अंग्रेजी भाषा में ही अच्छी तरह से समझा जा सकता है। - हिंदी भाषा का प्रयोग करने से दुविधा एवं भ्रम की स्थिति बने रहने की संभावना रहती है।
- यह अनुचित तर्क है कि हिंदी भाषा को अदालतों की कार्यवाही की भाषा बनाने से लोगों को सुविधा होगी।
- जब कि वकीलों को कोई भी व्यक्ति किसी भी भाषा में अपनी समस्या सुना सकता है।